" कोशिश "
अभी बूंद-बूंद तुझे ज़रना है
कोई कलह-कुलह नहीं करना है
आँखों को करके एक दिशा में
आगे ही आगे बढ़ना है
मीठी सी कुंक भी झाई है
हल्की बदरी भी छाई है
अब जिस गिरी पर भी हो मंजिल
तुझे उस गिरी पर ही चढ़ना है
सौ बार तू कह खुद के मन को, जब भी बदले मन तेरा है
तेरी सुबह की पहली बेला है, जल रहा सूर्य तो अकेला है ।।
उठ खड़ा हो खुद को ताकत दे,
मंजिल को पाना है तूने,
धृष्ट बना ले तू खुद को,
तेरी डगर ही जाना है तूने,
तेरा रस्ता है पत्थर से भरा ,
पत्थर से, चोट ही पाना है तूने ,
तेरी सोच है जितनी दूर तलक ,
हाँ वंही को जाना है तूने ,
सौ बार तू कह खुद के मन को, जब भी कोशिश लगे झमेला है
तेरी सुबह की पहली बेला है, जल रहा सूर्य तो अकेला है ।।
एक बार देख ज़रा सूरज को,
दुनिया में वह एकाकी है,
रोशन करने की कोशिश में,
भला कहीं कोई जगह बाकी है?
मंजिल सबकी मोहताज़ नहीं,
सर पर सबके यहां ताज़ नहीं,
वह हार गया, वह पीछे है,
जिसने किया यतन का काज नहीं,
सौ बार तू कह खुद के मन को, जब भी लगे तू यहां अकेला है
तेरी सुबह की पहली बेला है, जल रहा सूर्य तो अकेला है ।।
so so so beautiful lines...keep it up.....u must post it somewhere
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteWah bhai!
ReplyDeleteSo motivational
ReplyDeleteVery Nice!
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