" कागज़ "
लिखने का दिल है आज मेरा
कुछ ऐसा लिख दूं सोच रहा,
सूरत तेरी, बातें तेरी,
कोरे कागज़ पर दूं मैं सज़ा
तू आँखों से जब कुछ कहती है,
हवा मस्त-मगन बन बहती है,
तेरे, इस मुस्कानसे ही नदियां,
अपने रंज बदलती है
तेरे बदन की सौंधी खुशबु से,
इस कागज़ को मैं दूं महका,
सूरत तेरी बाते तेरी,
कोरे कागज़ पर दूं मैं सज़ा ।।
wowwww,,, beautiful !!! mesmerizing ....
ReplyDelete