पुष्प की अभिलाषा
( पुष्प-माली संवाद )
( पुष्प )
जीवन मेरा छोटा सा
झट खिलता, झट मुरझाता हूँ
हे माली मेरे! हे परमेश्वर!
जीवन सुख नहीं पाता हूँ
( माली )
जीवन तो है खुशबु से भरा
ज़रा बता जो भी अभीलाषा है
हे पुष्प मेरे! हे प्रसून मेरे!
तुझे, मुझसे कैसी निराशा है?
( पुष्प )
चाह नहीं माला में बिंध
किसी कंठ में लिपटा जाऊं
ना चाह मेरी किसी सुंदररमणी
के चिकुर में खुद को पाऊं
चाह नहीं किसी राजा के शव पर
हे नाथ मैं डाला जाऊं
ना चाह मेरी अपनी खुशबु से
इस जग को महकाऊं
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर
चाहे भले न मुझको चढ़ाओ
होली, दिवाली, राखी पर
चाहे भले न मुझको सजाओ
हे माली मरे! हे परमेश्वर!
बस उस पथ पर मुझको बिछना है
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ वीरो की सेना है
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